आँखों के सामने चुदी मेरी माँ | sex stories in hindi | CALL BOY delhi play BOY delhi whatsapp call me 8595897440
मैं पूर्णिमा एक बार फिर हाज़िर हूँ, अपनी दूसरी कहानी ले कर…
कुछ ही दिनों पहले आपने मेरे जीवन की सच घटना “चूतिए जीजू और चुड़दकड़ बहन” पढ़ी और मुझे ढेरों रेस्पॉन्स मिले…
सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!!
दोस्तो, कुछ लोगों ने तो सच में अच्छे रेस्पॉन्स दिए और अपने ओपीनियन रखे.. ..
एक दो राय भी मुझे काफ़ी पसंद आई, जिसमे लोगों ने मुझे सुझाव दिए की किस तरह मैं अपने जीजू को सिड्यूस करके उनसे चुद सकती हूँ। अगर मैं चाहती हूँ, तो…
माफी चाहती हूँ; परंतु इसके अलावा सारे मेल या तो “सेक्स इनविटेशन”थे या “लंड के फोटो।”
कुछ ने तो मुझे २५-५० हज़ार रुपए तक ऑफर कर दिए, एक रात के लिए… …
दोस्तो, रंडी “मेरी बहन” है, मैं नहीं!!
खैर, मैंने अपनी पुरानी आई डी बंद कर दी है और कामिनी जी से निवेदन है कृपया मेरी ये नई आई डी पब्लिश ना करें… …
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चलिए, अब आते हैं कहानी पर…
तो दोस्तो, यह भी एक सच घटना है की कैसे मैंने अनायास अपनी माँ को चुदते देखा… … .. ..
बात जब की है जब मेरे घर पर मेरी माँ, पापा थे। दीदी की शादी हो चुकी थी और मैं भी हॉस्टल में रह कर पढ़ाई कर रही थी, जैसा आप लोग जानते ही हैं!!!
तो हुआ यूँ की एक दिन मेरी मेरे बॉय फ्रेंड से बहस हो गई और मैं गुस्से में घर के लिए निकल पड़ी…
हॉस्टल में लाइट नहीं होने की वजह से मेरे मोबाइल की बैटरी लो थी। सो, जैसे ही मैंने पापा को फोन लगाया; मेरा मोबाइल डेड हो गया…
मेरा घर का रास्ता करीब २-२:३० घंटे का ही है तो सोचा – चलो, अभी तो पहुँच ही जाउंगी… …
मैं ट्रेन में बैठी और घर के लिए निकल पड़ी!!
शाम को जब मैं घर पहुँची तो पापा टीवी देख रहे थे… मुझे देख कर पापा खुश हो गये और मैंने पूछा – मम्मी कहाँ है…??
पापा बोले – यहीं आस-पड़ोस में गई हैं।
मुझे गुस्सा आ रही थी, एक तो बॉय फ्रेंड से बहस हुई थी दूसरे मुझे भूख लग रही थी। सो, मैं मम्मी को ढूढ़ने निकल पड़ी!!
हमारा घर दो मंज़िला है और दूसरी मंज़िल की सीडियाँ घर के बाहर से हैं…
शायद मम्मी ने जानभूझ कर बनवाई हैं; जिससे दीदी यहाँ आएँ तो आराम से ऊपर चुदती रहें और जीजू को पता भी नहीं चले… …
खैर, मैं जैसे ही गेट खोल कर बाहर निकल रही थी, मुझे एकदम से किसी के मोबाइल बजने की आवाज़ कानों में आई, बस एक ही पल के लिए!!
पर यह तय था कि आवाज़ ऊपर से ही आई है, मुझे लगा ऊपर कौन है… ??
एक अंजान डर से मैं दबे पाँव ऊपर चढ़ने लगी, बहुत सावधानी से… …
जैसी ही मैं ऊपर पहुँची मेरी साँसें रुक गईं और दिल धक से रह गया, हवा से परदा हिल रहा था और बिल्कुल सामने डबल बेड पर मेरी माँ किसी और मर्द से टाँगें खोल कर चुद रही थीं!!! !!
मैं चिल्लाना चाहती थी पर मेरे मुँह से आवाज़ ही नहीं निकली और मैं चुपचाप खड़ी रही… …
मम्मी की साड़ी ऊपर तक उठी हुई थी और ब्लाउज सामने से खुला था… अंकल सामने घुटनों के बल मम्मी की टाँगों के बीच बैठे थे और मम्मी को लगातार पेल रहे थे!!! !!
मम्मी का चेहरा दूसरी तरफ लुड़का हुआ था और वो धीरे-धीरे सिसकारियाँ ले रहीं थी और मज़े से चुद रही थीं!!
मैं बता दूँ, पैर में थोड़ी तकलीफ की वजह से मेरे पापा को सीढ़ी चढ़ना मना है और मम्मी के अनुसार मैं हॉस्टल में थी क्यूंकी मैं पहले कभी बिना बताए नहीं आई थी।
सो, मम्मी को मेरे आने का बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था.. ..
सुबह ही जब मेरी उनसे बात हुई थी तो मैंने आने का कोई ज़िक्र भी नहीं किया था, अगर बॉय फ्रेंड से मेरी लड़ाई ना हुई होती तो मैं आने भी नहीं वाली थी!!! !!
आम तौर पर मैं इतना चुप चाप आती भी नहीं पर आज दिमाग़ खराब होने की वजह से मैं थोड़ी उदास थी…
इसलिए वो एकदम बेफिक्री से चुद रही थीं… …
शक तो मुझे पहले भी एक दो बार हुआ था पर आँखों के सामने अपनी माँ चुदते देखना कितना “भिभत्स एहसास” होता है शायद यह कोई नहीं समझ सकता!!! !!
मेरी आँखों से आँसू टपकने लगे और मैं जड़वत खड़ी थी… …
तभी अंकल ने ज़ोर से “अह्ह्ह्ह्ह्ह” की आवाज़ करी और मैं डर कर नीचे बैठ गई… फिर थोड़ा सा उठ कर देखा तो अंकल मम्मी के चेहरे पर अपना मूठ छोड़ रहे थे…
मम्मी को देख कर साफ लग रहा था की उन्हें थोड़ी गुस्सा आ रही है… …
अंकल फिर थोड़ा सा चिल्लाए – आहह आ.. .. उफफफफफफफफफफ्फ़…
और इस बार मम्मी थोड़ा गुस्से में बोल पड़ीं – धीरे करो, यार… !!
अंकल भी थोड़ा गुस्से में बोले – चुप कर रंडी… …
मम्मी चुप हो गईं और उठ कर अपना ब्लाउज ठीक करने लगीं… अंकल भी अपने पायजामे का नाडा बाँधने लगे… …
मैं बैठे ही बैठे दो चार सीडी उतरी, फिर एक दम चुप चाप नीचे चली गई… …
अंदर घुसते ही पापा बोले – क्या हुआ, बेटा… मिली नहीं मम्मी…
मैंने एक पल पापा को देखा फिर चुपचाप बाथरूम में जा कर नल चालू कर लिया और सिसकने लगी!!!
मुझे बहुत तेज़ गुस्सा आ रही थी और ना जाने क्यूँ मुझे जीजू की याद आ रही थी… ऐसा लग रहा था भाग के चली जाऊं और कस के उनके गले लग कर रोने लगूँ… …
अचानक मुझे एहसास हुआ की वो क्यूँ चुप थे; मुझे भी चुप रहना होगा। अपने पापा के लिए!!! !!
मैंने चेहरा धोया, नॉर्मल हुई और फिर बाहर आ गई…
अब तक मम्मी नीचे आ चुकीं थी और पापा से थोड़ी दूर सोफे पर बैठीं थीं…
उन्होंने मुझे देखा और बोला – कब आई… ?? फिर बिना जवाब का इंतेज़ार किए बोलीं – आ रही यार, मैं एक मिनिट। हाथ मुँह धो लूँ। चक्कर से आ रहे, मुझे…
मैंने सोचा हाथ मुँह धो लूँ या अंकल का मूठ धो लूँ… …
खैर, मैंने पापा को देखा और अपने पर संयम रखा और सोचा चुप रहने में ही भलाई है। वैसे भी मम्मी कभी नहीं मानेंगी की वो ऊपर चुद रही थीं!!! !!
जब मम्मी हाथ मुँह धो कर आईं तो ना चाहते हुए भी मेरे मुँह से निकल गया – कहाँ गईं थीं… ??
उन्होंने बड़ी चालाकी से बात टाल दी… …
एक पल को भी उन्हें देख कर यह एहसास नहीं हो रहा था कि ५ मिनिट पहले वो किसी “गैर मर्द” से मज़े लेकर चुद रही थीं!!
फिर मैंने सोचा की इन लोगों को भी कब एहसास होता है। जब मैं हफ्ते-हफ्ते भर अपने बॉय फ्रेंड से उसके रूम पर चुदती हूँ… …
चूतिया बनाना तो हम लड़कियों की “जन्म जात खूबी” है… …
जो कुछ भी मैंने देखा यही सोच कर तसली कर लेती हूँ की वो “एक बुरा सपना” था!!! !!
एक दिन घर पर रुक कर, मैं हॉस्टल से वापस आ गई… …
मैंने कभी किसी को यह एहसास नहीं होने दिया की मैंने अपनी आँखों के सामने अपनी माँ चुदते देखी है… …
सभी के साथ मेरा व्यवहार बिल्कुल नॉर्मल है, जैसे मैं कुछ जानती ही ना हूँ… … …
यह राज़ मेरी चिता के साथ ही जल जाएगा…
सभी पाठकों का धन्यवाद, साथ ही कामिनी जी को भी धन्यवाद!!
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